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राष्ट्रीय रोजगार नीति लागू नहीं होगी तो, 26 नवंबर से होगा आंदोलन शुरू

रायपुर: संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति द्वारा राष्ट्रीय रोजगार नीति कानून बनाकर संसद से पास करने हेतु 16 अगस्त से 22 अगस्त तक रोजगार आंदोलन हुआ। इस रोजगार आंदोलन के दौरान देश भर से आये प्रतिनिधियों ने हिस्सेदारी की ।
कांस्टीट्यूशन क्लब में संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति की 22 अगस्त को बैठक संपन्न हुई जिसमें दिल्ली के केबिनेट मंत्री फाउंडर देश की बात फाउंडेशन गोपाल राय भी सम्मिलित हुए ।

राष्ट्रीय रोजगार नीति कानून बनाकर संसद से पास कराने हेतु माननीय प्रधान मंत्री व् अन्य केंद्रीय मंत्रियों को ज्ञापन सौपा गया। संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति द्वारा राष्ट्रीय रोजगार नीति का ड्राफ्ट केंद्रीय सरकार को सौंपा गया है। सरकार चाहे तो उसमे संशोधन करके लागू कर सकती है जिससे बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा अगर राष्ट्रीय रोजगार नीति लागू नहीं होगी तो रोजगार आंदोलन का अगला चरण 26 नवंबर से शुरू किया जायेगा। यह बात आज संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर कृष्णा यादव ने प्रेस वार्ता में बताई।

‘रोजगार आंदोलन’ का अगला चरण 26 नवंबर से, आंदोलन से पहले देश भर में किया जायेगा जनसम्पर्क अभियान

इससे पहले संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति की बैठक आज कंस्टीटूशन क्लब ऑफ़ इंडिया में हुयी एवं सभी संगठनो से चर्चा करके आगे की रणनीति बनायीं गई जिसके तहत अब पुरे देश में जनसम्पर्क अभियान के द्वारा इस आंदोलन के बारे में लोगो को अवगत कराया जायेगा। कृष्णा यादव ने बताया की लोकसभा एवम जिला स्तर पर रोजगार आंदोलन समिति का गठन किया जायेगा। उन्होंने आगे कहा की समिति सभी शिक्षण संस्थाओं, यूनिवर्सिटी कॉलेज में में राष्ट्रीय रोजगार नीति के बारे में जागरूक अभियान चलाएगी और सभी लोकसभा क्षेत्र में रोजगार संसद/ संवाद का आयोजन किया जायेगा जिसमे संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति से जुड़े संगठन एवं राज्यसभा , लोकसभा सांसदों को भी उस कार्यक्रम में आमंत्रित करके राष्ट्रिय रोजगार नीति कानून बनवाने में उनका सहयोग माँगा जायेगा ।

संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति देश किया सभी यूनिवर्सिटी, कॉलेज में राष्ट्रीय रोजगार नीति के बारे में लोगों को जागरूक करेगी    कृष्णा यादव ने कहा कि अगले चरण का आंदोलन शुरू करने से पहले पुरे देश में जनसम्पर्क अभियान तेज़ किया जायेगाऔर इस अभियान को गाँव स्तर तक लेकर जायेगे। संयुक्त रोजगार आंदोलन समिति द्वारा आंदोलन का प्रथम चरण 16 अगस्त से 22 अगस्त तक चला और इसमें देश भर के लोगों ने हिस्सा लिया। जैसे जैसे लोगों को पता चला की रोजगार आन्दोयलन शुरू हो रहा है वैसे ही रोजगार आंदोलन में लोगों की भागीदारी बढ़ती गयी। 16 अगस्त को हमने तिरंगा पदयात्रा नंदनगरी से जंतर मंतर तक शुरू किया लेकिन पुलिस द्वारा उसे गोकलपुरी में ही रोक दिया गया। फिर भी देश भर से आये प्रतिनिधियों का उत्साह काम नहीं हुआ और कार्यक्रम स्थल पर ही वो लगातार क्रमिक अनशन पर बैठे रहे।

इस रोजगार आंदोलन में पुरे देश से लगभग 200 से ज़्यादा संगठनो के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी लोगों ने एक सुर में यह बात बोला की देश को आज़ादी मिले 75 साल होगये लेकिन किसी भी सरकार ने राष्ट्रीय रोजगार नीति का मुद्दा न तो उठाया है न इसपर कोई चर्चा की है। वर्त्तमान में सभी सेक्टर के लिए एक समग्र पालिसी बनाने की ज़रुरत है। राष्ट्रीय रोजगार नीति आज के वक्त की मांग है और राष्ट्रीय रोजगार नीति कानून बनाकर इसको लागू करके ही बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है। आज देश के शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर लगभग 9 प्रतिशत है और ग्रामीण इलाकों में 7 प्रतिशत है अगर इसपर ध्यान नहीं दिया गया तो यह प्रतिशत और बढ़ सकती है।

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