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धान खरीदी से पहले सरकार की व्यवस्था से किसानों में नाराजगी – अशोक देवांगन

राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ राज्य में 1 नवंबर से अन्नदाताओं का धान खरीदी प्रारंभ होने को है किंतु धान खरीदी से पहले सरकार अन्य दाताओं की समस्याओं और खरीदी की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है अव्यवस्था की स्थिति में ही 1 नवंबर से धान खरीदने का प्रारंभ किए जा रहे हैं, इससे साफ साबित होता है, छत्तीसगढ़ राज्य के कांग्रेस सरकार किसानों की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं सिर्फ चुनावी फंडा अपनाते हुए किसानों को गुमराह करते हुए 1 नवंबर को धान खरीदने का प्रारंभ करने से पहले सारी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त नहीं कर पा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में अन्नदाता कैसे धान बेच पाएंगे यहां सोचने वाली बात है सोसाइटीयों में किसानों को टोकन तक उपलब्ध नहीं करा पाए हैं तथा अन्य सुविधाओं से सोसाइटीयों में अव्यवस्था का आलम बना हुआ है, जिला पंचायत क्षेत्र क्रमांक 08 के जिला पंचायत सदस्य व संचार सकर्म विभाग अशोक देवांगन ने  राज्य सरकार को आड़े हाथ लेते हुए बताया कि जब 1 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ होना सुनिश्चित था तो इसके पहले किसानों की सारी समस्या और सुसाइटीयों की सारी सुविधा को चुस्त-दुरुस्त क्यों नहीं किया गया। सोसाइटी में अधिकारी – कर्मचारियों की मांग पर भी धान खरीदी करने से पहले समस्याओं का समाधान को संज्ञान में लेकर समस्याओं का समाधान निकालना था।

श्री देवांगन ने आगे बताया कि जब किसानों को समय में टोकन ही नहीं मिला है तो ऐसी स्थिति में कैसे धान खरीदी सरकार कर पाएंगे और अन्नदाता कैसे अपनी गाढ़ी कमाई की एक-एक दाना को सुसाइटीयों में बेज पाएंगे यह सोचने और समझने वाली बात है, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की राज्य सरकार का लगभग 4 साल का कार्यकाल पूर्ण होने की ओर है अब चुनावी तैयारी देखते हुए अपने आप में वाहवाही लूटने के लिए किसानों का हमदर्द और दिखावे के लिए सोसायटीओं में चाय, नाश्ता और बिस्कुट जैसे लाली पाप खिलाकर किसानों की दिल जीतने का प्रयास किए जा रहे हैं किसानों को समय पर खाद बीज अन्य संसाधन उपलब्ध सरकार नहीं करा पा रहे हैं।

लेकिन चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं वैसे वैसे किसानों की तरफ उनकी झुकाव भी बढ़ते जा रहे हैं इस बार किसानों ने भी कांग्रेस सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने का मन बना लिया है क्योंकि कांग्रेस सरकार की कथनी और करनी से पूरा किसान भाइयों वाकिफ हो चुके हैं किसानों को खाद बीज लेते समय जैविक खाद लेने के नाम पर जानबूझकर दबाव बनाए गए हैं जो पूर्ण रूप से गुणवत्ता हीन है।

जैविक खाद को जबरन किसानों को थोपे गए हैं इससे किसानों की जमीन और बंजर हो रहे हैं जिस जैविक खाद को बेहतर उपयोगिता होना बता रहे हैं वह किसी विभाग से प्रमाणित नहीं होना और सीधे सोसाइटीयों के माध्यम से किसानों तक पहुंचाना यहां भी समझ से परे है इसी प्रकार राज्य सरकार की नरवा घुरवा बाड़ी योजना पूरी तरह फ्लॉप हो चुकी है यह ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आज भी मालूम नहीं है नरवा, गरवा, घुरवा व बाड़ी योजना है क्या राज्य सरकार सिर्फ अपने कागजों में अधिकारियों को दबाव बनाकर सफल बना रहे हैं।

राजनांदगांव से दीपक साहू की रिपोर्ट

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