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अध्यात्मिक संपादकीय लेख “ईश्वर दर्शन प्रतिदिन और पल पल”

रानीतराई : ईश्वर (भगवान) का दर्शन करने वाले भगवत प्रेमियों आप लोगों को ईश्वर (भगवान) के लिए इधर-उधर मत भटकने की आवश्यकता नहीं है ईश्वर (भगवान) का आप प्रतिदिन दर्शन कर रहे हो बस आप को उसे पहचानने की आवश्यकता है जरा सोचकर देखिये जब आपको चोट लगता है तो कौन आपका मरहम पट्टी करता है, कौन आपको खाना खिलाता,किसने आपको बचपना में चलना सिखाया, किसने अक्षर ज्ञान कराया, आपको छोटे से बड़ा किसने किया।

इस संसार का ज्ञान किसने कराया,किसने आपको अक्षर ज्ञान कराया, परिवार का पालन-पोषण करना किसने सिखाया,आपको आत्मनिर्भर किसने बनाया,किसने आपका शादी-ब्याह करवाया,आपको शिक्षा प्रदान किसने किया,दिनभर ऊर्जा युक्त प्रकाश कौन देता है,रात में शीतल प्रकाश कौन प्रदान करता है, फसल कहाँ से पैदा होता है,प्यास किससे बुझता है,किससे नहाते हो, आप स्वशन क्रिया में कौन से तत्व ग्रहण करते हो।

भोजन के पकने में किसकी भुमिका है,आपके मकान का नींव किसके सहारे खड़े हैं,बरसात में पानी कहाँ से बरसता है,शव को काँधे पर कौन ले जाता है,आपके जीवन में सुख-दुख कौन देता,आपका जन्मदाता कौन है ——–आदि-आदि तो आपको इन सवालो के जवाब में क्या मिलेगा जो जवाब मिलेगा वहीं ईश्वर है ।

मेरे हिसाब से इन सरे सवालों के जवाबों में इन्सान और प्रकृति (पृथ्वी तत्व,जल तत्व,अग्नि तत्व,वायु तत्व,आकाश तत्व,और अखिल ब्रम्हाण्ड ) है मेरे विचार से ईश्वर साक्षत इन्सान के रुप में है जैसे माता-पिता, दादा-दादी,नाना-नानी, भैया-भाभी,चाची-चाची, गुरू, भाई-बहन,सखा-सखी, रिश्ते-नाते ——-आदि-आदि जिसका हम प्रतिदन दर्शन कर रहे हैं इसी प्रकार ईश्वर साक्षत प्रकृति के रुप में है।

जैसे धरती (पृथ्वी),जल,अग्नि,वायु,आकाश,सुर्य,चन्द्रमा और अखिल ब्राम्हांड जिसका हम प्रतिदिन साक्षत दर्शन कर रहे हैं इसीलिये मैं कहता हूँ आप और हम ईश्वर का प्रतिदिन साक्षत दर्शन कर है बस हमें इन सब का प्रेम से सम्मान करना सिखना है इसी के अंदर ही आप-सबको ईश्वर की साक्षत दर्शन होगी आप जिस रुप में कल्पना करो जैसे :-राम,कृष्ण,शिव,दुर्गा,लक्ष्मी, सरस्वती,अल्लाह,इशु ,गुरुनानक———आदि ।

उसी रुप में आपको ईश्वर की दर्शन होगी, ईश्वर एक काल्पनिक सत्य है आप जिस रुप में आप उसकी कल्पना करो उसी रुप में आपके सामने प्रगट हो जाएंगें जैसे रात्रि में चन्द्रमा पर बने गहरे गड्ढों को जिस रुप में हम कल्पना करते हैं ठीक उसी रुप में हमें दिखाई देनें लगता है ठीक उसी प्रकार से इन्सान और प्रकृति रुपी ईश्वर को आप जिस रुप में कल्पना करोगे उसी रुप में आपके सामने प्रगट हो जाएँगे आपको ईश्वर के लिए कहीं भटकने की जरुरत नहीं है आप हर पल ईश्वर का दर्शन कर रहे हो,आप प्रतिदिन शिव-पार्वती का दर्शन कर रहे हो पुरुष(पुर्लिंग) साक्षत शिव है,और महिलाएँ (स्त्रीलिंग) साक्षत आदिशक्ति माँ भवानी पार्वती है पुरुष और स्त्री को संयुक्त रुप में शिव-शक्ति कहा जाता है ,पुर्लिंग शिव है और स्त्रीलिंग शक्ति है अर्थात प्रत्येक मनुष्य(पुरुष-महिला) शिव -शक्ति का रुप है और इन्हीं को सयुक्त रुप में ज्योतिर्लिंग कहा जाता है ।

एक बात और जान लीजिये मरने के बाद आपको कोई सुख-दुख मिलने वाला नहीं है जो भी सुख-दुख भोगना है आपको यहीं रहकर इसी भौतिक शरीर के माध्यम से भोगना पड़ेगा यदि इस जन्म में आपका सुख-दुख भोगना शेष रह जायेगा तो अगले जन्म में आपको पुन: सुख-दुख भोगने के लिये भौतिक शरीर धारण होगा जो कुछ भी रुप में हो सकता है जैसे:-मनुष्य,पशु-पक्षी, किट-पतंगा,पेड़-पौधा———आदि आदि लेकिन भौतिक शरीर मिलेगा ही क्योंकि सुक्ष्म शरीर को सुख-दुख का एहसास नहीं होता है सुख-दुख भोगने के लिए भौतिक शरीर का होना आवश्यक है क्योंकि भौतिक शरीर में ही हम सब की आत्मा और मन विराजमान होती है और इन्ही भौतिक शरीर के माध्यम से मन को सुख और दुख का एहसास होता है।

मित्रों व्यर्थ में मन को इधर-उधर मत भटकाओं सच्ची मन और श्रद्धा भक्ति-भाव के साथ माता-पिता, बड़े-बुजुर्गों, गुरुजनों,दिन-दुखियो और लाचार लोगों की सेवा करो,समाज और जनता के सुख-दुख का साथी बनो तथा प्रकृति (पृथ्वी तत्व,जल तत्व,अग्नि तत्व,वायु तत्व,आकाश तत्व,अखिल ब्राम्हांड ) की रक्षा करो और उनका सम्मान करों यही ईश्वर की सच्ची पूजा और भक्ति है क्योंकि ईश्वर का  विराट रुप अखिल ब्राम्हांड है इसी से आपको ईश्वर की साक्षत दर्शन होगी मंदिर,मस्जिद ,गुरुद्वारा और चर्च जरुर जाओ क्योंकि ये ईश्वर के द्वार तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करता है ।

लेख में त्रुटियो के लिये सादर क्षमा प्रार्थी

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