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बीजापुर- सिलंगेर में मूल आदिवासियों ने सरकार से मांगी शीघ्र न्याय और मुआवजा

जल, जंगल और जमीन और मान-सम्मान के लिए दे देंगे जान. पर अपनी संस्कृति और पर्यावरण पर नहीं आने देंगे आंच – सूरजु टेकाम एवं रघु

एक साल बाद भी न्याय मिला न मुआवजा, मूल आदिवासी में आक्रोश

संतोष देवांगन/बीजापुर: जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर बासागुड़ा के आगे ग्राम सिलेंगर में आदिवासियों द्वारा सड़क के लिए जंगलों को नहीं काटने, पर्यावरण को नुकसान न पहुचाने की मांग को  लेकर सिलेगर CRPF कैम्प के सामने ग्रामीण आदिवासियों द्वारा एकत्र होकर प्रदर्शन करते समय जवानों की ओर से किये गए फायरिंग में तीन पुरूष सहित एक गर्भवती महिला की निर्मम मौत हो गई थी जिन्हें सर्व आदिवासी मूलवासियों द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

आपको बता दे कि सिलगेर में 17 मई 2021 को हुए नरसंहार में मूलवासी सर्वआदिवासी समाज ने शहीद आदिवासियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने व गोली के शिकार हुए आदिवासियों के परिजनों को 50- 50 लाख रुपये की मुआवजा एवं जंगलों को न काटने की मांग को लेकर कैम्प पास पिछले एक वर्ष से धरना पर बैठे हुए हैं जहां पर 15 मई से 17 मई तक श्रद्धांजलि अर्पित करने कार्यक्रम आयोजित किया गया।

इस श्रद्धांजलि शहिद दिवस पर शहीद आदिवासियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने सिलेंगर के CRPF कैंप से महज एक किलोमीटर दूर धरना कार्यक्रम स्थल पर लगभग 20 हजार से ज्यादाआदिवासी मूलवासी इकट्ठा हुए थे. जिन्होने धरना स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मीडिया और मानव अधिकार व दिल्ली सहित अन्य राज्यों से आए रिसर्च अधिकारी व सदस्यों के बीच जल, जंगल और जमीन की मांग को बताते हुए शाहिद आदिवासियों को मुआवजा व वहा की समस्याओं से अवगत कराते हुए अपनी मांग  राज्य सरकार व केंद्र सरकार तक पहुचाने बात रखी। जिससे कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो निर्दोष आदिवासी मूलवासियों को न्याय मिल सके।

आपको बता दें कि 19 मई को प्रदेश के मुख्या मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी के बीजापुर जिला आगमन के एक दिन पूर्व सिलगेर  CRPF कैंप से महज एक किलोमीटर दूर पर 20 हजार से भी ज्यादा मूलवासी आदिवासी एकत्र हो कर वहा तीन दिन तक सभाए लेकर CRPF कैम्प के सामने बने शाहिद स्मारक तक विशाल शांति रैली निकाल कर CRPF जवानों के सामने खड़े होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर दिया है।

बीजापुर अति संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद यहां के मूलआदिवासियों द्वारा तीन दिन तक शान्ति पूर्वक ढंग से धरना स्थल पर 15 मई से 17 मई तक मधुर संगीत के साथ प्रदेश भर व दिल्ली से आए रिसर्च वाले और मीडिया वाले के सामने अपनी समस्याओं और मांग को रखते हुए कहा कि उनकी समस्याओं और प्रताड़ना की बातों को संगठन और मीडिया के माध्यम से केंद और राज्य सरकार तक पहुंचा कर उन्हें न्याय दिलाने में मदद करने की बात कही।

उन्होंने ने सभा स्थल पर व CRPF जवानों को अपनी मधुर संगीत और नृत्य के माध्यम से सड़क के नाम पर जंगलों को न काटने और पर्यावरण एवं मूलआदिवासियों की जीवन व्यवस्था को छेड़छाड़ न करने व आदिवासी युवाओं, महिलाओं को अपनी शिकार न बनाने की बात कही।

मूलवासी युवा रघु ने कहा किछत्तीसगढ़ बस्तर के बीजापुर जिले के ग्राम सिलंगेर में 1 साल पहले आदिवासियों ने सीआरपीएफ कैंप हटाओ व सड़क पुल निर्माण नहीं चाहिए का आंदोलन व धरना प्रदर्शन सीआरपीएफ कैंप के सामने किए थे, जिसमें प्रदर्शन के दौरान सीआरपीएफ के जवान के द्वारा आदिवासियों पर लाठीचार्ज व गोली चलाई गई थी जिसमें 3 आदिवासियों को गोली लगने से मौत हो गई थी तथा एक गर्भवती महिला लाठीचार्ज से घायल हुई थी जिनका इलाज के अभाव में गर्भ में पल रहे बच्चे सहित उस महिला की  मृत्यु हो गई थी।

इस नरसंहार घटना से क्षेत्र के सभी मूलआदिवासी व प्रदेश भर के सर्व आदिवासी समाज काफी आक्रोशित हैं। जो आज तक सीलंगेर में अपनी मांगों को लेकर घटना स्थल CRPF कैम्प से महज एक किलोमीटर दूर धरने पर बैठे हुए हैं ।

ये है मूलआदिवासियों की प्रमुख मांगे

1:- शहीद आदिवासी परिवार को 50- 50 लाख की मुआवजा राशि प्रदान करें।
2:- बस्तर से CRPF सीआरपीएफ कैंप को तुरंत हटाने।
3:- जंगलों को न काटने एवं पर्यावरण को नुकसान न पहुचाने।

4- रोड व पुलिया निर्माण नहीं चाहिए।
5- निर्दोष मूल आदिवासियों पर गोली दागने वाले CRPF के  जवानों को कड़ी सजा दे कर आदिवासियों के साथ न्याय करना हैं।

सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष श्री सूरजु टेकाम ने कहा है : कि शहीद मूलआदिवासी नक्सली नहीं थे. उसकी जांच रिपोर्ट जल्दी चाहिए, शहीद आदिवासी परिवार को मुआवजे की राशि 1 साल के बीत जाने के बाद भी नहीं मिली, ना ही उनका जांच रिपोर्ट आया है।

आदिवासियों का कहना है कि CRPF कैंप से बैठने से उनकी आजादी छीन गई है शादी, ब्याह ,छठी ,मरनी , मेला, व उनके संस्कृति व रोजी-रोटी के लिए काम में आते-जाते समय CRPF सीआरपीएफ के जवानों के द्वारा उन्हें अनावश्यक परेशान करना, झूठे प्रकरणों में फंसाने जैसे कहा जाता है. कौन हो कहां से आ रहे हो कहां जा रहे हो तथा उनकी फोटो खींचकर सामानों को चेक करते हैं वह घंटों पूछताछ कर अनावश्यक परेशान किया जाता है इतना ही नहीं हमारे घर की बहू बेटियों को भी वे गन्दी नजरों से देखते हैं और उनके साथ छेड़खानी करने की कोशिश करते हैं। जिससे हम मूलआदिवासी काफी आहत और परेशान है।

आदिवासी युवा बादल का कहना है-  की जल ,जंगल, जमीन हमारा है बस्तर पांचवी अनुसूचित क्षेत्र है यहां पेसा कानून लागू किया जाए जहा ग्राम सभा के बाद ही क्षेत्र की विकास और पुल पुलिया, सड़क निर्माण किया जाए। उन्होंने कहा कि मूलआदिवासी क्षेत्रों में CRPF कैंपों का बैठाना सरकार की बड़ी साजिश है जिससे वह यहां के खनिजों को ले जा सके जो हमारे पूर्वजों की जो धरोहर और हमारी संस्कृति और जीवन औऱ मान सम्मान को विकास के नाम पर रौंदने मूल को नष्ट करने की साजिश है।

जंगलों में सड़क निर्माण के नाम से लाखों पेड़ काटे जा रहे हैं वनस्पतियों को नष्ट किया जा रहा है, जल ,जंगल ,जमीन के रखवाले आदिवासियों का कहना है हम जान दे देंगे पर इसे किसी को लूटने नहीं देंगे . ये हमारी माँ है हमारे पूर्वजों की धरोहर है।

आपको बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के आगमन के एक दिन पूर्व 17 मई :2022 को आदिवासी समाज ने शहीद आदिवासियों को सिलंगेर में श्रद्धांजलि अर्पित करने 20 हजार से भी ज्यादा मूल आदिवासी इकट्ठा हो कर बस्तर के विधायक ,सांसद के द्वारा मूल आदिवासियों के धरोहर और मान सम्मान की व महिलाओं की आबरू की रक्षा नहीं करने बात कहते हुए उनके क्रियाकलापों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।

इस अवसर पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर , स्टूडेंट्स व मानव अधिकार कार्यकर्ता , रिसर्च करने वाले पदाधिकारी, किसान संघ के समस्त पदाधिकारी व अन्य संगठनों के सदस्यों सहित मीडियाकर्मी उपस्थित थे।

*संतोष देवांगन द्वारा “छत्तीसगढ़ 24 न्यूज़” के लिए बीजापुर सिलेगर से ग्राउंड रिपोर्ट*

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