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गांधी स्मारक में सजी आदिवासी रंगत-परंपरा और शिक्षा का अनोखा संगम

विश्व आदिवासी दिवस

रिपोर्टर रामानुज विश्वकर्मा
जशपुर: आज 8 अगस्त 2025 को जशपुर के जोकबहला स्थित गांधी स्मारक हायर सेकेंडरी स्कूल में “विश्व आदिवासी दिवस” उत्साह और गौरव के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्कूल ने सेवा-निवृत्त शिक्षकों, पूर्व विद्यार्थियों के साथ-साथ सहायिका और दिव्या वंदना विद्यालय के शिक्षक-विद्यार्थियों को भी विशेष निमंत्रण दिया। सभी मेहमानों की मौजूदगी ने कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए।

कार्यक्रम में पारंपरिक नृत्य, नाटक और रंगारंग प्रस्तुतियों के जरिए आदिवासी जीवन के पहनावे, रहन-सहन और संस्कृति को मंच पर उतारा गया। खास बात यह रही कि सभी प्रस्तुतियाँ प्रतियोगिता के रूप में हुईं, जिससे माहौल में रोमांच और जोश और बढ़ गया। यहाँ शिक्षक और विद्यार्थी, दोनों एक साथ कलाकार बनकर मंच पर उतरे, जिससे दर्शक भी यह पहचान नहीं पाए कि मंच पर कौन शिक्षक है और कौन विद्यार्थी।

यह आयोजन उस सोच को बदलता है, जिसमें मिशनरी स्कूलों को केवल आधुनिक शिक्षा और पश्चिमी संस्कृति का केंद्र माना जाता है। गांधी स्मारक ने साबित किया है कि आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ अपनी जड़ों और विरासत को भी उतनी ही मजबूती से थामा जा सकता है।

विद्यालय के प्राचार्य श्री मणि भूषण टोप्पो के शब्दों में, हमारे यहाँ शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़ने की सीख भी दी जाती है।

वहीं, सर तेज कुमार तिर्की ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि “आधुनिकता जरूरी है, पर अपनी जड़ों से कटना खतरनाक है। अगर युवाओं को समय रहते अपनी संस्कृति की पहचान मिल जाए, तो वह उम्रभर उसे संजोकर रखते हैं।अंत में, सभी ने संकल्प लिया कि आदिवासी संस्कृति की रक्षा और संरक्षण के लिए गांधी स्मारक की तरह हर विद्यालय को पहल करनी चाहिए।

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