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लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल: सरकार के इस फैसले पर, कॉमेडियन का वीडियो हुआ वायरल

काजल राठौर-इंदौर 

लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल: सरकार के इस फैसले पर, कॉमेडियन का वीडियो हुआ वायरल, लड़कियों ने कहा भैया जी! अपनी बीवी के साथ तलाक की बात करने में आपको शर्म आनी चाहिए

नेशनल लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र सीमा 18 से बढ़ा कर 21 साल कर दी जाएगी। उम्र सीमा में बदलाव के इस फैसले से समाज में एक नई बहस छिड़ गई है।एक तरफ सरकार के इस प्रस्ताव का युवा महिलाओं ने ही नहीं बल्कि कई महिला अधिकार संगठनों ने यह कहकर स्वागत किया है कि इससे लड़कियों को बराबरी का मौका मिलेगा। नौकरी कर पाएंगी और अपना करियर बेहतर ढंग से बना पाएंगी।

इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद एक कॉमेडियन विकास गिरी का सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर एक वीडियो जारी हुआ है जिसमें लोगों ने, खासकर महिलाओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं देते हुए कॉमेडियन को ट्रोल कर दिया है |

क्या है वीडियो में
वीडियो मीडिया कॉमेडियन किसी से कहते हैं कि ये तो ठीक है सरकार एक ऐसा प्रस्ताव लेके आयी है लेकिन जिनकी बीवी उनको मारती है और घर के काम करवाती है उनके लिए सरकार को कुछ करना चाहिए | और इस मज़्ज़ाक़ में में वो अपनी पत्नी के बारे में में कह गए |

Embed Link- Comedian Vikas Giri

 

कितना भारी पड़ा ये वीडियो कॉमेडियन को

इस वीडियो के जारी होने के बाद कई लड़कियों ने वीडियो पर प्रतिक्रियां दी | कुछ लिखती हैं कि आज की लड़की 21 में शादी करें या 31 में या फिर 41 में ये उनका निजी फैसला है और किसी के निजी फैसले में दखल अंदाज़ी करना ठीक नहीं है | इसी के साथ एक यूज़र ने लिखा है कि भैया जी ! लगता है कॉमेडी का स्तर अब एकदम गिर गया है। मज़ाक है या सच लेकिन अपनी बीवी को पॉइंट करके कॉमेडी में लाना, तलाक की बात करना और एक ऐसा ऐक्ट जो समाज के लिए एक अच्छा साबित हो सकता है उसका मज़ाक़ बनाना बड़ा ही शर्मनाक है। एक और महिला यूज़र के कहना है कि क्यों ज़िन्दगी के सारे मज़े और मस्ती समाज के मर्दों के लिए बने है।



बिल को लाने के पीछे का क्या मकसद: महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना

इस बिल को लाने का मकसद महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना है, महिलाओं को कुपोषण से बचाना है, क्योंकि कम उम्र में शादी की वजह से महिलाओं के हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है. इस बिल का सबसे बड़ा मकसद मातृ मृत्यु दर के खतरे को कम करना है. शादी की उम्र बढ़ाने का एक मकसद ये भी है कि जो लड़कियों उच्च शिक्षा हासिल करना चाहती हैं, उन्हें पढ़ाई के लिए समय मिलेगा. शादी से पहले वो करियर बना सकेंगी. अधिकतर लड़कियां आर्थिक तौर पर अपने पैरों पर भी खड़ी हो सकेंगी. अब इस रिपोर्ट के मूल आधार की ओर बढ़ते हैं, जिसे कुपोषण से जोड़ा जा रहा है. कम उम्र में मां बनने से महिलाओं की सेहत पर क्या प्रभाव पड़ता है, ये हमने विज्ञान के नजरिए से भी समझने की कोशिश की. वाकई ये फैसला क्रांतिकारी और ऐतिहासिक हैं।



शादी के फैसलों में लड़कियों की राय को भी ज्यादा महत्व

इस फैसले का भारत के समाज पर भी गहरा असर पड़ेगा. लड़कियां अगर सेहदमंद होगी, अगर पढ़ लिखने के बाद शादी करेंगी तो इससे उनके प्रति रुढ़िवादी सोच में बदलाव आएगा. महिलाओं की जिम्मेदारी घर की रसोई और बच्चों के पालन पोषण तक ही सीमित नहीं मानी जाएगी. ऐसे में पक्ष और विपक्ष के बीच लड़कियां खुद क्या सोचती हैं, हमने ये भी जानने की कोशिश की. आपको हमने पहले लाडो का जश्न दिखाया था और अब उनके विचार सुनाते हैं. संभव है अब शादी के फैसलों में लड़कियों की राय को भी ज्यादा महत्व मिलेगा, जैसा कि अभी बहुत कम मामलों में होता है. अभी लड़की पढ़ी लिखी होती है तो परिवार शादी कराने से पहले एक बार उसकी सहमति जरूर लेता है, लेकिन कम शिक्षित लड़कियों से उनकी राय नहीं पूछी जाती. ये वो फर्क है जो बेतुकी और शर्मनाक दलील देने वाले राजनेताओं और जनप्रतिनिधों को समझने की जरूरत है।

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