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तीन साल से परमानंद सोनकर इलाज के अभाव में नारकीय जीवन जीने मजबुर, छोटे-छोटे बच्चों ने मुख्यमंत्री जी से लगाई गुहार

*महासमुंद*-
महासमुंद जिला के ग्राम गढ़सिवनी के 42 वर्षीय परमानंद सोनकर पिछले तीन सालों से उचित इलाज के अभाव में घर के एक कमरे तक है. परंतु बीमारी के चलते गली मोहल्ले में भी निकल नहीं पा रहे हैं और पूरा समय एक कच्चे कमरे में गुजर रहा है.
वह खुद बताते मजदूरी करके उसका इलाज करा रहे हैं. उनकी पत्नी हैं, कि उनके कमर में तीन बड़े बड़े घाव हो कुलेश्वरी सोनकर ने बताया कि पुश्तैनी दो एकड़ की जमीन बिक गए हैं. पैसा नहीं होने के कारण उनकी दो एकड़ जमीन थी उन्हें इलाज के लिए बेचना पड़ा , खुद मलहम पट्टी करती है. पत्नी व बच्चे रो पड़ा. अब उनके पास रोजी मजदूरी करने के
अलावा और कुछ नहीं बचा हुआ है. इनके दो बच्चे हैं जिनमें लड़की कक्षा दसवीं में पढ़ रही है तो बालक कक्षा आठवीं में अध्ययनरत है. दोनों छुट्टी के दिनों में मां के साथ मजदूरी के लिए जाते हैं बाकी स्कूल टाइम में पढ़ाई के लिए स्कूल चले जाते हैं. पैसे की तंगी ज्यादा होने पर स्कूल जाना बंद कर मजदूरी करने जाते हैं. मां बेटी की मजदूरी से ही घर की दाल रोटी चल रही है अर्थात गुजर बसर में बहुत अड़चन हो रही है. ऐसे वक्त में इलाज के लिए इनके पास फूटी कौड़ी भी नहीं है.

*मुख्यमंत्री बघेल जी से की बच्चों ने मदद की अपील*

•परिवारजनों ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया. सरपंच से लेकर जनपद सदस्य एवं जिला अध्यक्ष को भी अवगत करा चुके हैं, परंतु आश्वासन के सिवाय और में कैद होकर रह गए हैं. कमर से लेकर नीचे कुछ नहीं मिला. दसवीं में अध्यनरत इनके का पूरा अंग सुन्न पड़ गया है. वह उठ बैठ लड़की शशिकला सोनकर रोते हुए अपने नहीं पाता है. नतीजा बिस्तर में ही पड़े रहते पिता के दुख बयां कर रही थी. उसने हैं. सुबह से दोपहर पश्चात सायंकाल और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं क्षेत्रीय विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर से प्रार्थना केवल आश्वासन के अलावा कोई मतलब नहीं है, बच्चों कहना है कि उसके पिता ठीक हो जाएं और घर की जिम्मेदारी संभाल लें तो वे लोग पढ़ाई भी करना चाहते हैं.

*2019 में हुआ था हादसे का शिकार*

उल्लेखनीय है कि फरवरी 2019 में परमानंद हाथ बोर खुदाई के लिए नदी किनारे गया था साथियों के साथ काम कर ही रहा था कि अचानक वह 12 फीट ऊपर से नीचे जमीन पर गिर पड़ा और कमर से लेकर उनकी पूरी नीचे का शरीर सुन्न हो गया. अंबेडकर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया. वहां 5 दिन रहा लेकिन इलाज नहीं होता देख इन्होंने प्राइवेट हॉस्पिटल में जाकर इलाज करवाया. उन्होंने भी पैसे रहते तक इलाज किया. पश्चात इन्हें ठीक नहीं हो सकता करके वापस घर भेज दिया. तब से लेकर आज तक बिस्तर पर ही पड़ा हुआ है.

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