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ट्राई साइकिल के लिए कार्यालय दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर कब मिलेगी दिव्यांग को अधिकारियों के द्वारा जिला कलेक्टर को लेना चाहिए संज्ञान

ट्राई साइकिल के लिए कार्यालय दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर कब मिलेगी दिव्यांग को अधिकारियों के द्वारा जिला कलेक्टर को लेना चाहिए संज्ञान

एमसीबी वनांचल क्षेत्र जनपद पंचायत भरतपुर के कुछ दिव्यांग हितग्राही अपने निरासी के पैसे और ट्राई साइकिल की मांग के लिए कार्यालय और अधिकारी के पास ठोकर खाने के लिए मजबूर हो रहे हैं,दिव्यांग महिला बब्बी बाई जो शारीरिक रूप से विकलांग होने के कारण पैदल चलने में असमर्थ हैं, बब्बी बाई जनकपुर से 30 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत रांपा की रहने वाली हैं। जहां दिव्यांग बब्बी ने बताया कि मैं अपने निराशी का पैसा लेने के लिए जनकपुर के जनपद कार्यालय आई हूं। मेरा निराशी का पैसा नहीं चढ़ाया जा रहा है हर महीने दिव्यांग बब्बी बाई का निरासी की राशि को खाते में जमा कर दिया जाता है मगर बब्बी बाई जब किसी कियोस्क सेंटर केंद्र में जाती है तो उन्हें बता दिया जाता है कि आपका पैसा ही नहीं आया है अधिकारियों के द्वारा घोर लापरवाही दिव्यांग के साथ और बब्बी बाई के खाते में भी पैसे भी नहीं है। जबकि जनपद कार्यालय से बब्बी बाई के खाते में पैसे स्थानांतरित कर दिए गए हैं बोलकर आश्वासन दे दिया जाए,बब्बी बाई का कहना है कि कुछ वर्ष पहले जब कोटाडोल में कार्यक्रम हुआ था तब उन्हें ट्राई साइकिल दी गई थी मगर वह टूट गई है जिसकी फोटो भी मैं जनपद कार्यालय में जमा कर दिया था। मगर अभी तक ट्राई साइकिल दिव्यांग बब्बी बाई को नहीं मिल सकी सिर्फ आश्वासन दिया जाता है,वही सेमरिया निवासी दिव्यांग जगदीश सिंह पोया का भी कहना है कि मेरा एक्सीडेंट हो गया था 4 साल से मैं बैठकर कठवा में इस देसी जुगाड़ से बैठकर चलने के लिए मजबूर है इनका भी हाल यही है,वही ग्राम पंचायत सेमरिया के विकलांग मितान हीरालाल सिंह उईके ने बताया कि कुछ वर्ष पहले जनकपुर में विकलांग शिविर लगा था जिसमें मैं जगदीश को लेकर आया था और दिव्यंका का पूरे फॉर्म भी भरवा दिया था।मगर आज तक जगदीश सिंह का विकलांग सर्टिफिकेट ही नहीं बन पाया। जिसके कारण इन्हें कई प्रकार के शासन के लाभों से वंचित होना पड़ रहा है।इस मामले में जब हमारी बात मुख्य कार्यपालन अधिकारी भरतपुर अनिल अग्निहोत्री से हुई तो उनके द्वारा बताया गया कि हमारे यहां से हितग्राहियों की राशि समय-समय पर डाल दी जाती है। मगर हितग्राहियों के पास जनधन खाते का पासबुक ना होने के कारण इन्हें जानकारी नहीं मिल पाती कि उनके खाते में पैसा है या नहीं है और यह कार्यालय के दर-दर भटकते हैं। जिसके लिए जनपद कार्यालय से स्टेट बैंक के प्रबंधक के नाम एक लिखित लेटर जारी किया है कि जनधन के हितग्राहियों का पासबुक बनवाया जाए,वही जनपद कार्यालय से यह भी जानकारी दी गई है हमारे ब्लॉक में ही नहीं जिले में ही ट्राई साइकिल उपलब्ध नहीं है लाखों का भ्रष्टाचार हो रहा है पर दीवानों के लिए कोई सहायता नहीं दिखाई दे रही है

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