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संत रामपाल जी महराज :- देवी-देवताओं के आध्यात्मिक ज्ञान की एक झलक।

रानीतराई :- शिवनाथ नदी के तट पर स्थित दुर्ग जिले के विदेवी-देवताओं के आध्यात्मिक ज्ञान की एक झलक शिवनाथ नदी के तट पर स्थित दुर्ग जिले के विभिन्न स्थानों- भिलाई के नेहरू नगर, पाटन के गाड़ाडिही ग्राम , धमधा के बोरी एवं कुम्हारी के खपरी ग्राम एवं अन्य कई स्थानों पर संत रामपाल जी महाराज के एक दिवसीय सत्संग का आयोजन हुआ, जिसमें संत रामपाल जी महाराज ने देवी-देवताओं के आध्यात्मिक ज्ञान के विषय में पवित्र वेदों, पुराणों, गीता जी एवं अन्य सद्ग्रंथों में लिखे ज्ञान से रूबरू करवाया। सर्वप्रथम श्रीमद् देवीभागवत पुराण, प्रथम स्कंद में वेदव्यास का नारद जी से गोष्ठी दिखाई, जिसमें व्यास जी ने सृष्टि के कर्ता के विषय में नारद जी से प्रश्न पूछा। नारद जी ने यही प्रश्न ब्रह्मा जी से किया। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को सृष्टि का रचयिता मानते हुए यह प्रश्न भगवान विष्णु से करने गये किंतु उन्होंने विष्णु जी को समाधि स्थिति में पाया, तो ब्रह्मा जी उनसे प्रश्न करने लगे कि भगवान आप सृष्टि के कर्ता होते हुए भी किसकी समाधि लगाए हुए हैं, तब भगवान विष्णु ने कहा कि देवता, दानव-मानव सब यही जानते हैं कि आप सृष्टि कर्ता है, मैं पालन करता हूं तथा शंकर संहार किया करते हैं, परंतु सृष्टि करने वाली अधिष्ठात्री देवी अन्य है और देवी से बढ़कर मेरे आध्यात्मिक ज्ञान में कोई अन्य भगवान नहीं है अतः मैं देवी का ही निरंतर ध्यान किया करते हूँ।
तत्पश्चात संत रामपाल जी श्रीमद्देवीभागवत के सातवें स्कंद में ले गए, जिसमें देवी जी ने हिमालय राजा को ज्ञान उपदेश दिया कि ब्रम्ह की साधना करनी चाहिए जिसका ऊँ नाम है, इससे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है।
इसी कड़ी में आगे प्रमाण के लिए उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 8 का 16 वां श्लोक दिखाया जिसमें ब्रह्म लोक पर्यंत भी जीव पुनरावृत्ति (जन्म-मृत्यु के चक्र) में रहता है, पूर्ण मोक्ष नहीं होता, यह बतालाया गया है।
इसके उपरांत गीता जी अध्याय 18 का 62 वां श्लोक दिखाया जिसमें गीता ज्ञान दाता अपने से अन्य उस परमेश्वर की शरण में जाने को कह रहा है जिसकी कृपा से परम शांति तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होना बताया है ।
वह परमेश्वर कौन है इसके बारे में गीता ज्ञान दाता भगवान अपना अंतिम निर्णय दे रहें है तथा गीता में उस परमेश्वर की जानकारी के लिए अध्याय 4 के 34 वें श्लोक में बताए तत्वदर्शी संत की तलाश के लिए कहा है वह तत्वदर्शी संत कोई अन्य नहीं संत रामपाल जी महाराज ही है जो वेद-शास्त्रों और अन्य धार्मिक ग्रंथो का गूढ़ ज्ञान (तत्व ज्ञान) बता रहे हैं। साथ ही साथ समाज कल्याण में भी विशेष योगदान दे रहें हैं नशा, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों पर भी पाबंदी लगा रहे हैं, अभी तक पूरे विश्व मे सन्त जी के प्रवचन सुनकर करोड़ों श्रद्धालुओं ने तंबाकू, हुक्का, बीड़ी, सिगरेट इत्यादि का सेवन त्याग दिया है। श्रद्धालुओं का कहना है पूर्ण संत जी के सत्संगों व तत्वज्ञान से अब वो दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान पूरी तरह से नशा मुक्त हो जाएगा।भिन्न स्थानों- भिलाई के नेहरू नगर, पाटन के गाड़ाडिही ग्राम , धमधा के बोरी एवं कुम्हारी के खपरी ग्राम एवं अन्य कई स्थानों पर संत रामपाल जी महाराज के एक दिवसीय सत्संग का आयोजन हुआ, जिसमें संत रामपाल जी महाराज ने देवी-देवताओं के आध्यात्मिक ज्ञान के विषय में पवित्र वेदों, पुराणों, गीता जी एवं अन्य सद्ग्रंथों में लिखे ज्ञान से रूबरू करवाया। सर्वप्रथम श्रीमद् देवीभागवत पुराण, प्रथम स्कंद में वेदव्यास का नारद जी से गोष्ठी दिखाई, जिसमें व्यास जी ने सृष्टि के कर्ता के विषय में नारद जी से प्रश्न पूछा। नारद जी ने यही प्रश्न ब्रह्मा जी से किया। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को सृष्टि का रचयिता मानते हुए यह प्रश्न भगवान विष्णु से करने गये किंतु उन्होंने विष्णु जी को समाधि स्थिति में पाया, तो ब्रह्मा जी उनसे प्रश्न करने लगे कि भगवान आप सृष्टि के कर्ता होते हुए भी किसकी समाधि लगाए हुए हैं, तब भगवान विष्णु ने कहा कि देवता, दानव-मानव सब यही जानते हैं कि आप सृष्टि कर्ता है, मैं पालन करता हूं तथा शंकर संहार किया करते हैं, परंतु सृष्टि करने वाली अधिष्ठात्री देवी अन्य है और देवी से बढ़कर मेरे आध्यात्मिक ज्ञान में कोई अन्य भगवान नहीं है अतः मैं देवी का ही निरंतर ध्यान किया करते हूँ।
तत्पश्चात संत रामपाल जी श्रीमद्देवीभागवत के सातवें स्कंद में ले गए, जिसमें देवी जी ने हिमालय राजा को ज्ञान उपदेश दिया कि ब्रम्ह की साधना करनी चाहिए जिसका ऊँ नाम है, इससे ब्रह्म लोक की प्राप्ति होती है।
इसी कड़ी में आगे प्रमाण के लिए उन्होंने श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 8 का 16 वां श्लोक दिखाया जिसमें ब्रह्म लोक पर्यंत भी जीव पुनरावृत्ति (जन्म-मृत्यु के चक्र) में रहता है, पूर्ण मोक्ष नहीं होता, यह बतालाया गया है।
इसके उपरांत गीता जी अध्याय 18 का 62 वां श्लोक दिखाया जिसमें गीता ज्ञान दाता अपने से अन्य उस परमेश्वर की शरण में जाने को कह रहा है जिसकी कृपा से परम शांति तथा सनातन परम धाम को प्राप्त होना बताया है ।
वह परमेश्वर कौन है इसके बारे में गीता ज्ञान दाता भगवान अपना अंतिम निर्णय दे रहें है तथा गीता में उस परमेश्वर की जानकारी के लिए अध्याय 4 के 34 वें श्लोक में बताए तत्वदर्शी संत की तलाश के लिए कहा है वह तत्वदर्शी संत कोई अन्य नहीं संत रामपाल जी महाराज ही है जो वेद-शास्त्रों और अन्य धार्मिक ग्रंथो का गूढ़ ज्ञान (तत्व ज्ञान) बता रहे हैं। साथ ही साथ समाज कल्याण में भी विशेष योगदान दे रहें हैं नशा, दहेज प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों पर भी पाबंदी लगा रहे हैं, अभी तक पूरे विश्व मे सन्त जी के प्रवचन सुनकर करोड़ों श्रद्धालुओं ने तंबाकू, हुक्का, बीड़ी, सिगरेट इत्यादि का सेवन त्याग दिया है। श्रद्धालुओं का कहना है पूर्ण संत जी के सत्संगों व तत्वज्ञान से अब वो दिन दूर नहीं जब हिंदुस्तान पूरी तरह से नशा मुक्त हो जाएगा।

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