रानीतराई :- स्वामी विवेकानंद जी ने 19 वी शताब्दी के भारत में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव को देखा जिसमें ईसाई धर्म के अनुयायी लोगों की बहुलता थी ! हिन्दू धर्म के बारे में दुष्प्रचार किया जा रहा था कि रूढ़ीवादिता, अंधविश्वास तथा नास्तिकों का समूह है ! हिन्दू धर्म बाह्य आडंबर, हिन्दू कुरीतियों एवं महिला जागरूकता पर कार्य किया !अभिनव भारत को विवेकानंद जी ने नई दिशा दी ।
उपरोक्त विचार स्व. दाऊ रामचंद्र साहू शासकीय महाविद्यालय में आयोजित “ब्रह्मलीन स्वामी आत्मानंद जी स्मृति प्रथम व्याख्यान माला ” के मुख्य अतिथि विवेकानंद विद्या पीठ के सचिव डॉ. ओम प्रकाश वर्मा ने व्यक्त किया ! डॉ. वर्मा ने कहा कि विवेकानंद जी का मत था कि भारत को चाहिये कि पाश्चात्य संस्कृति से सीखे और पाश्चात्य राष्ट्र भारतीय धर्म से सीखे ! धर्म ही भारत है और ईष्ट देव भारत माता है ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में प्राचार्य (प्र.) – डॉ. आलोक शुक्ला जी ने स्वागत भाषण देते हुए महाविद्यालय के गतिविधियों की जानकारी और बताया कि “स्वामी आत्मानंद जी स्मृति व्याख्यान माला” आयोजन करने का हमारा सबसे बड़ा उदेश्य यह है कि बड़े-बड़े विद्वान तथा प्रबुद्ध वक्ताओं को आमंत्रित कर उनसे संवाद स्थापित करना जिससे युवा पीढ़ी में छुपा हुआ प्रतिभा प्रस्फुटित हो सके और राष्ट्र एवं समाज को विवेकानंद तथा आत्मानन्द जी जैसे सोच- विचारवान वाले महामानव मिल सके इसी प्रकार हमने बेरोजगारी से निपटने हेतु युवा पीढ़ी के लिये “TCS एवं सिटिकॉन” वर्कशाप आयोजित किया हम हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं और महाविद्यालय को आगे बढ़ाने का भरसक प्रयास कर रहें ।
कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए जिला पंचायत दुर्ग के उपाध्यक्ष श्री अशोक साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ की प्रारम्भ से संतों की भूमि रही है ! छत्तीसगढ़ के संत विभूतियों में स्वामी आत्मानंद जी ने दूरस्थ आदिवासी अंचलों में गरीब आदिवासियों एवं छत्तीसगढ़ के गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया ! छात्रों को स्वामी आत्मानंद जी से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना चाहिए।
ब्रह्मलीन स्वामी आत्मानंद जी स्मृति प्रथम व्याख्यान माला में विशिष्ठ अतिथि एवं हिन्दी साहित्य समिति, पाटन के अध्यक्ष श्री हेमंत देवांगन ने ” आध्यात्मिक व्यक्तित्व: ब्रह्मलीन स्वामी आत्मानंद जी ” पर केंद्रित अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामी आत्मानंद जी मानव नहीं महा मानव थे,स्वामी आत्मानंद जी को बचपन में तुलेन्द्र के नाम से जाना जाता था उनके पिताजी जी का नाम धनीराम और माता जी का नाम भाग्यवती थी उन्होंने छत्तीसगढ़ में मानव उद्धार को एक नई दिशा दी!छत्तीसगढ़ में जब वर्ष 1974 में भयंकर अकाल पड़ा तब स्वामी आत्मानंद जी मन्दिर बनाने के लिए चंदे से प्राप्त 06 लाख रुपये की राशि का मन्दिर बनाने के बजाय उक्त राशि को जनसेवा में लगा दिया!अबूझमाड बस्तर का अंधेरा कोना है वहां ब्रह्मलीन स्वामी आत्मानंद जी ने गरीब आदिवासियों के गरीबी अभाव पूर्ण जीवन को सशक्त करने के विवेकानंद आश्रम की स्थापना कर आदिवासियों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आर्थिक रूप से मानव सेवा की, स्वयं IAS की नौकरी को ठुकराकर अध्यात्मिक क्षेत्र में कदम रखा और दीन-हीन की सेवा को अपना मूल धर्म माना उनके अनुसार राष्ट्र ,समाज एवं दिन दुखियों की सेवा ही साक्षत ईश्वर की सेवा और पूजा है स्वामी जी प्रत्येक जीव में शिव का दर्शन करते थे और कहते थे प्रत्येक जीव शिव है ।
कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य समिति, पाटन के सचिव श्री भास्कर सावरणी, जनपद पंचायत पाटन के सभापति श्री रमन टिकारिहा, ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष श्री राजेश ठाकुर, जनपद पंचायत पाटन के सभापति श्री दिनेश साहू,सरपंच श्री निर्मल जैन, श्री भविष जैन, श्री संदीप मिश्रा-पत्रकार, बी.आर.साहू , करण साहू-पत्रकार तथा अखिल भारतीय छात्र संगठन के उपाध्यक्ष श्री आयुष टिकारिहा सहित बड़ी संख्या मे छात्र उपस्थित थे !
कार्यक्रम को सफल बनाने में श्री चंदन गोस्वामी, कु.रेशमी महेश्वर, कु.भारती गायकवाड़, श्रीमती अराधना देवांगन, कु.रेणुका वर्मा, श्री टिकेश्वर पाटिल, कु.माधुरी बंछोर,श्रीमती ममिता साहू तथा कु.शिखा मढरिया ने सक्रिय सहयोग दिया ! कार्यक्रम का सफल संचालन कु.रेणुका वर्मा ने किया आभार वयक्त श्रीमती अराधना देवांगन ने किया ।
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चन्दन गोस्वामी, जन संपर्क प्रभारी