पश्चिम बंगाल में धनतेरस से पहले खरीदारी के लिए शुभ संयोग : 677 साल बाद शनि-गुरु का ऐसा महासंयोग, पुष्य नक्षत्र

कोलकाता : धर्म और ज्योतिष में गुरु-पुष्य नक्षत्र को खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा शुभ माना गया है। दिवाली पर्व का आगाज धनतेरस से होता है जो इस साल 2 नवंबर को है। सनातन धर्म में धनतेरस का बहुत विशेष है। यह पर्व दीपावली शुरुआत का प्रतीक है। मान्यताओं अनुसार इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि देव का अवतरण हुआ। हिंदी पंचांग अनुसार धनतेरस हर साल कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। सदियों से इस दिन विभिन्न सामानों को खरीदने की परंपरा रही लेकिन जब कोई सामान शुभ मुहूर्त में खरीदा जाता है तो महत्व और बढ़ जाता है तथा वह सामान और भी सुखकारी हो जाता है। जिस तरह शुभ मुहूर्त में की पूजा पूरा फल देती है उसी तरह शुभ मुहूर्त में खरीदारी सुख-समृद्धि लाती है।



इसके अलावा कल गुरुवार भी है। और गुरुवार के दिन का गुरु-पुष्य नक्षत्र रहना सबसे ज्यादा उत्तम होता है। इसके चलते 2 नंवबर को धनतेरस और 4 नवंबर को दिवाली से पहले ही खरीदी का बेहद शुभ मौका है। इस दिन खरीदी करने के अलावा निवेश करना बहुत शुभ साबित होगा। इस बार दिवाली और धनतेरस से पहले खरीदारी का यह शुभ मुहूर्त पड़ रहा है। इस दिन खरीदी और निवेश करने से बहुत लाभ होता है। गुरु-पुष्य नक्षत्र 28 अक्टूबर को पूरे दिन और रात तक रहेगा।



28 अक्टूबर को पुष्य नक्षत्र रहेगा और गुरु शनि का दुर्लभ संयोग बनेगा। प्रवासी राजस्थानी ज्योतिषाचार्य डॉ राकेश व्यास समेत पं. अशोक, पं. मनोज आदि के मुताबिक, गुरु पुष्य नक्षत्र पर ग्रहों की ऐसी स्थिति 677 साल बाद बन रही। ज्योतिषविदों का कहना है कि पुष्य नक्षत्र पर मकर में राशि शनि-बृहस्पति का ऐसा संयोग 677 साल पहले 5 नवंबर 1344 को बना था। कल न केवल गुरु-पुष्य नक्षत्र रहेगा बल्कि गुरु और शनि ग्रह एक ही राशि मकर में रहेंगे।



ज्योतिष शास्त्र अनुसार ग्रह गोचर में पुष्य नक्षत्र के स्वामी और उपस्वामी की यह युति लगभग 60 साल बाद बन रही है। इससे पहले साल 1961 में ये दुर्लभ संयोग बना था। ज्योतिष में सभी 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। पुष्य सभी अरिष्टों या संकटों का नाश करता हैइसलिए शुभ काम करने के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। इस मुहूर्त में किए गए काम अन्य शुभ मुहूर्तों की तुलना में कई गुना ज्यादा फल देते हैं।बृहस्पति देव और प्रभुराम भी इसी नक्षत्र में पैदा हुए थे।



मान्यता है कि इस नक्षत्र में जन्मे लोग महान काम करते हैं और स्वभाव से बेहद दयालु, धार्मिक, धनी और कई कलाओं को जानने वाले होते हैं। वहीं पुष्य नक्षत्र में जन्मी लड़कियां अपने खानदान का नाम रोशन करती हैं।ऐसी लड़कियां बेहद सौभाग्यशाली, दयालु, धार्मिक, साहसी और बुद्धिमान होती हैं। पंचांग के मुताबिक 28 अक्टूबर को मकर राशि में शनि-गुरु की युति रहेगी। यह युति पुष्य नक्षत्र की शुभता को और अधिक बल प्रदान करने वाली होती है। 28 अक्टूबर सुबह 6.33 से 9.42 तक सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। ऐसे में इस दौरान खरीददारी करना अति उत्तम होगा। बड़ाबाजार निवासी प्रवासी राजस्थानी ज्योतिष प्रभाकर डॉ राकेश व्यास ने बुधवार को बताया कि ज्योतिषशास्त्र गणनाओं के अनुसार, इस बार दिवाली से पहले खरीदारी के लिए महामुहूर्त गुरु पुष्य नक्षत्र, शनि-गुरु की युति में आ रहे हैं। जो एक दुर्लभ संयोग है।

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