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दिया तले अंधेरा , पेयजल को तरसता कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने का गांव

किरीट भाई ठक्कर , गरियाबंद। गर्मियों में पानी की समस्या आम बात है, किन्तु हम जिस गांव की बात कर रहे हैं वहां सभी मौसम में जलापूर्ति की समस्या बनी रहती है। कलेक्ट्रेट कार्यालय के ठीक सामने आधे किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव में एक मात्र सार्वजनिक बोर के सहारे ग्रामीण जीवन यापन कर रहे हैं।
ग्राम पंचायत डोंगरीगांव अंतर्गत इस गांव का नाम दर्रापारा है।

जिले का संयुक्त कार्यालय भवन , जिला पंचायत कार्यालय , पीएचई कार्यालय तथा अनेक अन्य शासकीय विभागों के जिला कार्यालय इसी ग्राम पंचायत डोंगरीगांव की जमीन पर संचालित है ,जहां से पूरे जिले के विकास का ताना – बाना बुना जाता है किंतु इस कथित विकास की बानगी देखनी हो तो ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता नही होगी।

इस गांव में वैसे दो सार्वजनिक बोर और है किंतु इनमें से एक बस्ती से काफी दूर है , जबकि दूसरे का पानी पीने योग्य नहीं है। गांव के मुखिया अर्थात सरपंच अफसरों की मेहरबानी से निर्माण कार्यों में व्यस्त है , इसीलिये ग्रामीणों की मूलभूत आवश्यकताओं से इन्हें कोई सरोकार नही है। जबकि पंचायत सचिव फिलहाल ” हड़ताल, पर और बाकी दिनों में कितनी भी ” पड़ताल, कर लो …मिलते ही नहीं है।

जल जीवन मिशन अधूरा

इस मिशन के तहत इस गांव में भी पानी टंकी का निर्माण होना है , ग्राम केशोडाहर तथा दर्रापारा में लगभग 80 लाख रुपये की स्वीकृति हुई है। इनमें से केशोडार में निर्माण कार्य जारी है किंतु दर्रापारा में बेस लेवल तक का ही काम हुआ है। बताया जा रहा है कि दर्रापारा में इस मिशन के तहत जलापूर्ति के लिये अभी काफी इंतजार करना होगा।

वैकल्पिक व्यवस्था की मांग

आगामी महीनों में भीषण गर्मी का दौर होगा। जबकि गांव के एक मात्र बोर में अब पानी की कमी होने लगी है। जल जीवन मिशन के तहत टंकी निर्माण में भी अभी समय लगना है , इसीलिये ग्रामीण चाहते है कि पेयजल की कोई वैकल्पिक व्यवस्था तत्काल की जाये।

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